तुम कहती थी मुझे दो पैसे का ग़ालिब
मैंने वाकई इसे मान लिया था
कुछ फूल तुम्हारे हमने भी संजोये थे किसी पुरानी किताब में
अनजाने में किसी ने उसे भी कबाड़ में बेच दिया था
तुम्हारी कही हर बात तो मानी थी
न जाने किसने कहा की मै अनसुना कर गया था
हर बार जो तुम रूठ जाती थी
कम्बख्त वक़्त ने भी कब मानाने दिया था
जब पहुंचे तुम्हारी गली में छुपते छुपाते
हैरानी ने हमारी सब कुछ ज़ाहिर कर दिया था
और जब तुम आई कॉलेज में मिलने
नजाने क्यों लगा तुम्हे की मैं नाराज़ था ,मैं सिर्फ झेंप गया था
तुम सच कहती थी की मुझसे कुछ नहीं होगा
पर तुमसे पहले कुछ करने की कोशिश ही कहाँ किया था
चूक तुमसे नहीं मुझसे ही हुई थी
तुमने कहा " रुको, मत जाओ " और मैंने इसे " रुको मत , जाओ " समझ लिया था
तुम्हारी आस्था पे कभी मैंने श़क नहीं किया
पर साले भगवान् ने ही धोखा दे दिया था
त्रिशांत श्रीवास्तव
मैंने वाकई इसे मान लिया था
कुछ फूल तुम्हारे हमने भी संजोये थे किसी पुरानी किताब में
अनजाने में किसी ने उसे भी कबाड़ में बेच दिया था
तुम्हारी कही हर बात तो मानी थी
न जाने किसने कहा की मै अनसुना कर गया था
हर बार जो तुम रूठ जाती थी
कम्बख्त वक़्त ने भी कब मानाने दिया था
जब पहुंचे तुम्हारी गली में छुपते छुपाते
हैरानी ने हमारी सब कुछ ज़ाहिर कर दिया था
और जब तुम आई कॉलेज में मिलने
नजाने क्यों लगा तुम्हे की मैं नाराज़ था ,मैं सिर्फ झेंप गया था
तुम सच कहती थी की मुझसे कुछ नहीं होगा
पर तुमसे पहले कुछ करने की कोशिश ही कहाँ किया था
चूक तुमसे नहीं मुझसे ही हुई थी
तुमने कहा " रुको, मत जाओ " और मैंने इसे " रुको मत , जाओ " समझ लिया था
तुम्हारी आस्था पे कभी मैंने श़क नहीं किया
पर साले भगवान् ने ही धोखा दे दिया था
त्रिशांत श्रीवास्तव
mann gaye janaaab! kudddos!
ReplyDeletebohot sahi likha... very nice. :)
ReplyDeleteWah! Kya khoob likha hai. Keep up the good work :)
ReplyDeleteare wah kya baat hai... mere do paise ke ghalib ki..... :D par tumhein iss naam se kaun bulata hai... isspar to roshni dalo... coz it is a brilliant name ;D
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