Total Pageviews

Monday, March 4, 2013

सारे जहां से अच्छा


सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमाराहम आग सेकते है जब जले ये गुलिस्तां हमारा 

वो दिन भी हमने देखे जब रहता था दिल वतन में आज  आलम है ये  की वतन नहीं है फैशन में 

परबत वो सब से ऊंचा हमसाय आसमाँ काहर न्यू इअर और क्रिसमस पे गन्दगी  फैलाते हम  वहां पे 

गोदी मे खेलती है इसकी हजारो नदियाकाली सी , मटमैली सी , कारखानों की वो नालियां 

ए अब रौद गंगा वो दिन है याद तुझकोबस यादों में ही उन्हें  रखना , जो अब तेरे किनारे बनेगा  हाईवे हमारा 

मझहब नही सिखाता आपस मे बैर रखनाकुछ बैर को ही हमने बना लिया अब मज़हब ये  हमारा 
हँसते हैं हम अब जो कोई कहता की ,हिन्दवी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा 

युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिल गये जहाँ सेभला हो अग्रेजों और उनकी अंग्रेजी का , की अब तक  है बाकी  नामो-निशान हमारा

कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारीमायूस न हो अमरीका , नामुमकिन कुछ भी नहीं जब साथ हो तुम्हारा 

इक़्बाल है ये बड़ा  मरहम  की तुम नही हो इस जहाँ मेन समझ पाता   ये वतन  दर्द-ए-निहा तुम्हारा 

- त्रिशांत
04/03/2013

No comments:

Post a Comment