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Tuesday, November 12, 2013

तुम आना


तुम आना 
अगली बारिश के बाद 
मेरे  आँगन की गीली मिट्टी में अपने पाओं के निशान छोड़ जाना 

तुम आना 
अगले जाड़ों में 
मेरे कम्बल में अपनी महक छोड़ जाना 
तुम आना 

तुम आना 
अगले पतझड़ में , 
मेरे वीरान पेड़ों में , अपनी हँसी छोड़ जाना 
तुम आना 

तुम आना 
अगली गर्मियों में 
मेरी उदास शामों में , अपना गुलाबी रंग छोड़ जाना 

तुम्हारा चेहरा अब मेरी यादों में  धुंधला हो चला है 
तुम आना 
मेरी यादों में अपनी एक तस्वीर छोड़ जाना 
तुम आना

- त्रिशान्त
12/11/13

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