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Monday, September 29, 2014

हरसिंगार के फ़ूल

मुझे 17 साल वापस जाना है 
अक्टूबर की ओस भरी सुबह में 
बरामदे में गिरे  हर सिंगार के फूल चुनने है 
कुछ  अम्मा की पूजा वाली डोलची में डालने  है 
कुछ मींज कर हाथ नारंगी करने है 
कुछ ज़मीन पर सजा कर अपना नाम लिखना है 
कुछ उसी पेड़ पर लगा रहने देना है 

की जब रात को हलकी सिहरन वाली हवा आये 
तो हरसिंगार की महक कमरे में भर जाए 
और आखिरी पहर  अगर नींद खुल जाए 
तो खिड़की से  फूलों की सफ़ेद ओस को गिरते देख 
अपने आप  फिर से नींद आ जाए 

मुझे 17 साल वापस जाना है 
हरसिंगार  के छोटे से पेड़ के पास 
उसने मेरा बचपन संभाल  कर रखा है 
कुछ हिस्सा उसका उधार लेकर 
वापस आना है 

मुझे 17 साल वापस जाना है 

- तृषांत 

30/9/ 14

1 comment:

  1. Dear Trishant,
    Bohat dino baad kuch aisa padha jahan vicharo ke saath sangharsh karke apni baat manvane ki koshish na ki gayi ho. bohat sunder.

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